पितृ पक्ष में श्राद्ध और पंचबली की सम्पूर्ण विधि: शास्त्रों से जनकल्याण तक

पितृ पक्ष में श्राद्ध और पंचबली की सम्पूर्ण विधि
पितृ पक्ष हिंदू धर्म में वह विशेष समय है जब हम अपने पितरों (पूर्वजों) को श्रद्धा, तर्पण और श्राद्ध के माध्यम से स्मरण करते हैं। यह केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि एक पारिवारिक और सामाजिक उत्तरदायित्व भी है।
शास्त्रीय आधार
मनु स्मृति, गरुड़ पुराण और महाभारत में श्राद्ध का विस्तार से वर्णन है। गरुड़ पुराण कहता है:
“श्राद्धे काले पितॄन् यस्तु तर्पयेत श्रद्धया सदा।
तेन तृप्ताः प्रयान्त्याशु स्वर्गलोकं सनातनम्॥”
(गरुड़ पुराण)
श्राद्ध विधि संक्षेप में
- तिथि अनुसार पूर्वजों का स्मरण और गोत्र नाम का उच्चारण।
- तर्पण (जल + तिल + कुशा) का समर्पण।
- पिंडदान: चावल, तिल व घी से बने पिंड अर्पण।
- ब्राह्मण भोजन और दान-दक्षिणा।
- गाय, कुत्ता, कौवा, चाण्डाल और चींटी को भोजन – जिसे पंचबली कहा जाता है।
पंचबली: कौन-कौन?
- गो बलि – गाय को भोजन
- श्वान बलि – कुत्ते को अन्न
- काक बलि – कौए को
- वैष्णव बलि – ब्राह्मण या अतिथि को
- पिपीलिक बलि – चींटी को अन्न या गुड़
धार्मिक लाभ
श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष भी शांत होता है। पितरों की आत्मा को गति प्राप्त होती है और घर में शांति, समृद्धि और संतति सुख बना रहता है।
श्लोक
“पिण्डं पितॄणां प्रथमोदकं च,
तिलोदकं तत्प्रयते च द्वितीयम्।
ब्राह्मणप्रसन्नं तृतीयं स्मृतं च,
त्रिधा विधेयं तु श्राद्धं सदा च॥”
(विष्णु धर्मसूत्र)
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. श्राद्ध कब किया जाता है?
पितृ पक्ष में अपनी तिथि के अनुसार – जैसे पिता का निधन त्रयोदशी को हुआ हो, तो त्रयोदशी तिथि को श्राद्ध करना उचित है।
2. क्या महिला भी श्राद्ध कर सकती है?
हाँ, विशेष परिस्थितियों में यदि घर में पुरुष न हों, तो स्त्रियाँ भी विधिपूर्वक श्राद्ध कर सकती हैं।
3. श्राद्ध किसे नहीं करना चाहिए?
गर्भवती स्त्री, अशौच या सूतक में पड़े व्यक्ति को श्राद्ध नहीं करना चाहिए।
4. क्या श्राद्ध केवल ब्राह्मणों को ही कराना जरूरी है?
संस्कार ब्राह्मणों से कराना शास्त्रसम्मत है, परंतु यदि उपलब्ध न हों, तो विधिपूर्वक स्वयं भी श्रद्धा से कर सकते हैं।
5. क्या श्राद्ध के दिन मांसाहार वर्जित है?
हाँ, पूर्ण रूप से वर्जित है। साथ ही लहसुन-प्याज भी नहीं खाया जाता।
यह लेख धर्म-जिज्ञासा ब्लॉग के लिए लिखा गया है। यदि आपके मन में श्राद्ध या पितृ पक्ष से जुड़े कोई प्रश्न हों, तो कमेंट में पूछें।
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