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अनादि काल से ब्रह्माण्ड में अनहद नाद "ॐ" गूँज रहा है !!!

NASA के वैज्ञानिकों ने अनेक रिसर्च के बाद  डीप स्पेस में यंत्रों द्वारा सूर्य में हर क्षण होने  वाली एक ध्वनि को रिकॉर्ड किया। उस ध्वनि को सुना तो वैज्ञानिक भी चकित रह  गए,क्योंकि यह ध्वनि कुछ और नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति की वैदिक ध्वनि “ओ३म्” थी। सुनने में बिलकुल वैसी,जैसे हम ‘ओउम्’ बोलते हैं। इस मंत्र का गुणगान वेदों में भी किया गया है । आश्चर्य इस बात का था कि जो गहन ध्वनि मनुष्य अपने कानों से नहीं सुन सकता,उसको ऋषियों ने कैसे सुना। सामान्य व्यक्ति 20 मेगा हर्ट्स से 20,000 मेगा हर्ट्स की ध्वनियों को ही सुन सकता है। इतनी ही हमारे कान की श्रवण शक्ति है।  उससे नीचे या उससे ऊपर की ध्वनि को सुनना संभव ही नहीं है। इंद्रियों की एक सीमा है,उससे कम या ज्यादा में  वे कोई जानकारी नहीं दे सकतीं। वैज्ञानिकों का आश्चर्य असल में समाधि की उच्च अवस्था का चमत्कार था जिसमें ऋषियों ने वह ध्वनि सुनी,अनुभव की और वेदों के हर मंत्र से पहले उसे लिखा और ‘महामंत्र’ बताया। ऋषि कहते हैं,यह ॐ की ध्वनि परमात्मा तक  पहुंचने का माध्यम है। यह उसका नाम है।  महर्षि पतंजलि...